Skip to main content

Indian Railway : देश के सबसे लंबी 14.58 किमी सुरंग के ब्रेकथ्रू का उद्घाटन, चुनौतीपूर्ण है ये 125 किमी लंबी रेल परियोजना!

  • उत्तराखंड के पांच प्रमुख जिलों—देहरादून, टिहरी गढ़वाल, पौड़ी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग और चमोली रेल नेटवर्क से जुड़ेंगे

RNE Rishikesh-Uttarakhand.

भारत की सबसे लंबी रेल सुरंग का सफलतापूर्वक ब्रेकथ्रू हो गया है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव व उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मौजूदगी में हुआ यह ब्रेकथ्रू रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) की बड़ी उपलब्धि है। यह उत्तराखंड की 125 किलोमीटर लंबी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग ब्रॉड गेज रेल परियोजना से जुड़ी है। यह रेल परियोजना 105 किलोमीटर सुरंग के अंदर बनी है। इसमें ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक कुल 16 सुरंग हैं।जानिए कैसी है ये रेल परियोजना :

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना हिमालय के दुर्गम और भौगोलिक तौर पर संवेदनशील क्षेत्र (सिस्मिक जोन IV) में बन रही है। इस रेल लाइन में देश की सबसे लंबी रेलवे सुरंग 14.577 किमी (47825 फीट) शामिल है, जो देवप्रयाग और जनासू के बीच बन रही है। 16 अप्रैल, 2025 को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 14.58 किमी लंबी सुरंग T-8 के ब्रेकथ्रू का उद्घाटन किया, जो देश की सबसे लंबी रेलवे सुरंग है। इसके अलावा 38 नियोजित सुरंग ब्रेकथ्रू में से 28 पूरे हो चुके हैं। परियोजना के पहले चरण को 2026 के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य है, और 2027 के मध्य तक यह पूरी तरह से चालू हो सकती है।6-7 घंटे की दूरी दो घंटे में पूरी, पूरे साल आ-जा सकेंगे :

ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक सड़क मार्ग से 6-7 घंटे लगते हैं जो मौसम और भूस्खलन के कारण और बढ़ सकता है। चारधाम रेल परियोजना के तहत बन रही ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन इस दूरी को तकरीबन दो घंटे में पूरा करेगी। इससे तीर्थयात्रियों, पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए यात्रा तेज, सुरक्षित और सुविधाजनक हो जाएगी। उत्तराखंड में भारी बारिश, बर्फबारी और भूस्खलन के कारण सड़क मार्ग अक्सर अवरुद्ध हो जाते हैं। मानसून और सर्दियों के मौसम में यह अक्सर होता है। इस परियोजना का 83 प्रतिशत हिस्सा सुरंगों के माध्यम से गुजरता है, जो इसे मौसम की मार से मुक्त रखेगा और निर्बाध कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेगा, जिससे तीर्थयात्री और पर्यटक साल भर चारधाम की यात्रा कर सकेंगे।जानिए कहाँ-कहाँ से होगा जुड़ाव :

यह परियोजना उत्तराखंड के पांच प्रमुख जिलों—देहरादून, टिहरी गढ़वाल, पौड़ी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग और चमोली—को रेल नेटवर्क से जोड़ेगी। योग नगरी ऋषिकेश, मुनि की रेती, देवप्रयाग, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, गौचर और कर्णप्रयाग जैसे शहर और कस्बे रेल मार्ग से जुड़ जाएंगे। इससे सुदूर पहाड़ी क्षेत्रों के लोग स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा, रोजगार और बाजारों तक आसानी से पहुंच सकेंगे। चारधाम रेल परियोजना का मुख्य उद्देश्य यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को रेल नेटवर्क से जोड़ना है।

योग से तप की कनेक्टिविटी :

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना 125.2 किमी लंबी ब्रॉड गेज रेल लाइन है, जो योग नगरी ऋषिकेश को कर्णप्रयाग से जोड़ेगी। यह परियोजना भारतीय रेल की चारधाम रेल परियोजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य उत्तराखंड के चार पवित्र तीर्थ स्थलों को रेल नेटवर्क से जोड़ना है। इस रेल लाइन की कुल लागत लगभग 16 हजार करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई है। परियोजना की सबसे खास बात यह है कि इसका 83 प्रतिशत हिस्सा सुरंगों से गुजरेगा, जिसमें 17 मुख्य सुरंगें और 12 एस्केप टनल शामिल हैं। इसकी कुल लंबाई 213 किलोमीटर है, जिसमें 193 किलोमीटर का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है।

शिव-शक्ति की ऊर्जा का चमत्कार :
इस परियोजना में आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है, जैसे कि टनल बोरिंग मशीन (TBM) जिसने सुरंग निर्माण में अभूतपूर्व प्रगति दर्ज की है। अगस्त 2024 में टनल बोरिंग मशीन ‘शिव’ और ‘शक्ति’ ने एक महीने में 1080.11 रनिंग मीटर सुरंग खोदकर नया रिकॉर्ड बनाया। इस परियोजना में रेल ब्रिज नंबर 8 इंजीनियरिंग का एक और चमत्कार है। योगनगरी ऋषिकेश से तपोनगरी कर्णप्रयाग का सफर अब दो घंटे में ही पूरा होने वाला है। भारतीय रेल ने देवभूमि में ‘शिव’ और ‘शक्ति’ के वरदान से देश की सबसे लंबी रेलवे सुरंग के निर्माण में सफल ब्रेक थ्रू हासिल कर लिया है। 125 किमी से अधिक लंबी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता, तीर्थ स्थलों और आध्यात्मिक महत्व को नए सिरे से परिभाषित करने वाली है।